Off Grid Solar System : Best for Industrial Use

Off Grid Solar System For Industrial Use

ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम (Off Grid Solar System for Industries) का प्रयोग करके आज के समय बहुत से इंडस्ट्रियलिस्ट अपने बिज़नेस में होने वाले बिजली / डीजल के खर्च को जीरो करके साल के लाखो बचा रहे है , ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम की अच्छी बात यह होती है कि इसमें बैटरी का प्रयोग नहीं होता है। जो इस सिस्टम को लम्बे समय के लिए मेन्टेन्स रहित बना देता है।ऑफग्रिड सोलर सिस्टम के द्वारा कुशेश्वर जी चला रहे है अपना आटा मिल , इस ब्लॉग में हम जानेंगे उनका पूरा अनुभव।।

कुशेश्वर सिंह -आटा चक्की व्यापारी :

कुशेश्वर सिंह जी सहरसा बिहार के रहने वाले आटा चक्की व्यापारी हैं। यह बिहार राज्य का एक नगर है। सहरसा, जिले और कोसी प्रमंडल का मुख्यालय भी है। यह कोसी नदी के समीप पूर्व में बसा हुआ है। यह एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, यहां दलहन और तिलहन की ज्यादा खेती होती है ।

आटा चक्की (Flour Mill) व्यापार का सफर :

कुशेश्वर जी ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद व्यापार करने का विचार किया, जिससे इन्हे आटा चक्की व्यापार करने का विचार आया।इन्होंने यह सोचकर यह व्यापार शुरू किया कि यह हमेशा और 12 महीना चलने वाला व्यापार है। जिसके लिए कुशेश्वर जी ने दो आटा चक्की खरीदीं जो 16 इंच और 20  इंच की थी । इसको चलाने के लिए इन्होने एक डीजल इंजन लिया। 

डीजल इंजन के साथ बिज़नेस का सफर :

कुशेश्वर जी अपने व्यापार को डीजल से शुरू किया। डीजल से चक्की चलाने में इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कुशेश्वर जी 6 किलोमीटर की दूरी तय करके डीजल लाते थे। डीजल लाने के लिए कभी-कभी इन्हे अपना काम (Flour Mill) बीच में रोककर जाना पड़ता था, साथ ही डीजल लाने के लिए समय निकालना भी एक समस्या रहती थी, इसके साथ समय की बर्बादी भी होती थी। 

कुशेश्वर जी मोटरसाइकिल से डीजल लाने जाते थे, जिससे पेट्रोल भी जलता था। डीजल से चक्की चलाने में खर्चे बहुत थे । कुशेश्वर जी के डीजल का खर्च लगभग 60,000 से 75,000 रुपये प्रतिमाह होता था। इससे घर गृहस्थी के खर्च भी मुश्किल से निकल पाता था। डीजल से चक्की चलाने पर आवाज काफी आती थी, जिससे की मानसिक स्थिति काफी तंज रहती थी।  

इंजन के पार्ट्स खराब या गड़बड़ हो जाने पर इन्हे बनवाना पड़ता, जिसमें काफी समय लगता था और आटा चक्की व्यापार भी उस समय बंद करना पड़ता था। कुशेश्वर जी को डीजल काफी महंगा पड़ता। इंजन से धुआँ और शोर एक अलग ही समस्या थी। 

बिजली के साथ बिजनेस का सफर :

कुशेश्वर जी के यहाँ सं 2000 से बिजली आई, डीजल इंजन से होने वाले घाटे से परेशान होकर कुशेश्वर जी बिजली कनेक्शन लेने का विचार किये। कनेक्शन लेने के लिए भी कुशेश्वर जी को काफी भागदौड़ करना पड़ा। साथ ही ट्राँफार्मर जलने या तार टूटने पर कुशेश्वर जी को ही बनवाना पड़ता था। 

बिजली से चक्की चलाने पर समस्या यह रहती थी कि बिजली की कटौती कभी भी हो जाती थी।  जिससे 24 घंटे में कभी भी काम करना पड़ता, साथ ही दिन रात जागकर भी काम करना पड़ता था। जिससे कभी आराम बिल्कुल नहीं मिल पाता था।

बिजली से चक्की को चलाने के दौरान समय का कोई वैल्यू नहीं रहता, कभी भी काम करना पड़ता था। बिजली से चक्की चलाने में लगभग 12000 से 18000 रूपए प्रतिमाह बिल आता था। जितना मुनाफा नहीं होता उससे कहीं ज्यादा बिजली का बिल भुगतान करना पड़ता।

आन्या ग्रीन एनर्जी से जुड़ने का सफर :

कुशेश्वर सिंह जी इन सभी समस्याओं से परेशान होकर अपनी परेशानी का समाधान मोबाइल पर देखने लगे। जहाँ इन्होंने यूट्यूब पर आन्या ग्रीन एनर्जी का सोलर से चलने वाला आटा चक्की सिस्टम (Off Grid Solar System with VFD) देखा। इसके बाद कुशेश्वर जी ने गूगल पर जाकर आन्या ग्रीन एनर्जी के बारे में जानकारी ली और संपर्क किया। 

जहां कुशेश्वर जी का आन्या ग्रीन एनर्जी के सोलर एग्जीक्यूटिव से संपर्क होता है। आन्या ग्रीन एनर्जी के सोलर एग्जीक्यूटिव से बातचीत कर अपने सिस्टम की संपूर्ण जानकारी लेने के बाद, लगभग 10-15 दिन बातचीत होने के दौरान कुशेश्वर जी दिए गए जानकारी से संतुष्ट हो जाते हैं। इन सब के दौरान कुशेश्वर जी आन्या ग्रीन एनर्जी पर भरोसा करते हुए अपने सिस्टम (Off Grid Solar System) की बुकिंग कंफर्म कर देते हैं।

इंस्टालेशन का सफर :

जिसके बाद आन्या ग्रीन एनर्जी के इंजीनियर, कुशेश्वर जी के यहां जाकर इनके जगह और दिशा का मापन करके एसएलडी तैयार करने के पश्चात इनका सिस्टम मई 2022 में इंस्टॉल किया।कुशेश्वर जी के यहाँ मोनो पर्क हाफ कट 445W के 32 पैनल लगे हैं,
इसके साथ इनके यहाँ आन्या ग्रीन एनर्जी का 15 एचपी की डबल डोर ड्राइव लगी हुई है, जो डबल प्रोडक्शन के साथ विश्व मानकों के द्वारा सर्टिफाइड है।

पैनल को माउंट करने के लिए जो स्ट्रक्चर लगे हैं, वह जीआई (galvanized iron) के स्ट्रक्चर होते हैं जो धूप और बारिश में जंग से बचाते हैं। इनके यहाँ लाइटिंग अरेस्टर और अर्थिंग लगी है जो आकाशीय बिजली से पैनल को बचाकर ग्राउंड (जमीन) में बिजली को भेज देती हैं।

सोलर आटा चक्की (Off Grid Solar System) का अनुभव :

कुशेश्वर जी सोलर (Off Grid Solar System with VFD) लगवाकर बहुत खुश हैं। कुशेश्वर जी का कहना है कि इन्हें अब डीजल लाने की चिंता नहीं रहती साथ ही इससे निकलने वाले विषैले धुँवे और शोर से यह निजात पा चुके हैं। कुशेश्वर जी कहते हैं कि जहाँ 1000 – 2000  प्रतिमाह चक्की से बचा पाते थे, वहां अब सोलर से लाखों बचा रहे हैं। 

कुशेश्वर जी अपने बच्चों की शिक्षा के लिए उन्हें दूसरे शहर रखकर पढ़ा रहे हैं । उनके शिक्षा का खर्च कुशेश्वर जी के आटा चक्की व्यापार से ही चलता है। सोलर से आटा चक्की चलाने के बाद इनके आसपास के कई आटा चक्की जो डीजल और बिजली पर चलते थे, वह बंद हो गए है। सोलर लगवाने से काम के फ्लो और कस्टमर दोनों में बढ़ोतरी हुई है। 

सोलर आटा चक्की का जीवन पर प्रभाव :

इनके क्षेत्र में इनका ही आटा चक्की चलता है, जिससे आसपास के सभी लोग इनके पास ही पिसाई और पेराई के लिए आते हैं। सोलर लगवाने के बाद यह अपने पिसाई और पेराई का काम करने के बाद दूसरे कामों को भी कर पाते हैं जैसे कि खेती और भी दूसरे काम। 

पहले इन सब चीजों के लिए इनको समय नहीं मिल पाता था। कुशेश्वर जी का कहना है सोलर लगवाने के बाद समय भी मिल जाता है और पूंजी भी नहीं लगता । आन्या ग्रीन एनर्जी से सोलर लगवाकर कुशेश्वर जी काफी खुश है।

यह सभी जानकारियाँ सोलर आटा चक्की (Off Grid Solar System With VFD) व्यापारी कुशेश्वर सिंह जी के द्वारा आन्या ग्रीन एनर्जी को मार्च 2023 में प्रदान की गई है, जिसके अनुसार कुशेश्वर जी का सोलर आटा चक्की (Off Grid Solar System) का अनुभव मई 2022 से मार्च 2023 (लगभग नौ महीना) तक का बेहद शानदार रहा है। आन्या ग्रीन एनर्जी उम्मीद करती है कि आने वाले सालो में भी इनका सिस्टम और अनुभव शानदार ही रहेगा।

हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही अगर आप एक आटा चक्की व्यापारी है और सोलर (Off Grid Solar System with VFD) से अपने आटा चक्की व्यापार को चलाना चाहते है तो निचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें।